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कार्य


कार्य
इस कार्यालय का कार्य

पटसन आयुक्त भारत में पटसन उद्योग के नियमित विकास तथा संवर्धन की दिशा में कार्य करता है। यह कार्यालय विनियामक व विकासात्मक दोनों कार्यो का निर्वहन करता है। इन कार्यो में न केवल जूट मीलें शामिल है अपितु इसमें कच्चे जूट उत्पादों के विपणन से लेकर , परिष्करण चरण पर लेकर तैयार सामान सहित जूट इकाइयों में प्रयोग की गई मशिनरियों तथा सामान का विकास शामिल है। पटसन आयुक्त पटसन तथा पटसन वस्त्र नियंत्रण आदेश 2016 के अंतर्गत नियामक शक्तियों का प्रयोग करते है ।

जेपीएम अधिनियम के तहत अनिवार्य पैकिंग का प्रबन्ध, पटसन के अधिकतम समर्थन मूल्य की घोषणा, बी-टविल सैंकिग की मासिक मुल्य की घोषणा, अनुसंधान और विकास परियोजनाओं की अनौपचारिक निगरानी और पटसन क्षेत्र के लिए विनियामक का कार्य करता है।

कार्यालय का प्राथमिक कार्य :

1. कच्चें जूट,जूट उद्योग तथा संगठित और विकेन्द्रित दोनों क्षेत्रों में आधुनिकीकरण एवं विविधिकरण कार्यक्रम और जूट मशीनरी उद्योग के विकास आदि से संबंधित सभी मामलों पर सरकार को सलाह देना ।

2. स्की‍मों व नीतियों के माध्य‍म से व्यवस्थित निर्यात को बढ़ावा देना और जूट के विविध उत्पादों के विकास को प्रोत्सा्हित करना ।

3. जूट सामग्री के विविध मदों के लिए उचित गुणवत्तो मानकों के विकास में भारतीय मानक ब्यूरों को सहयोग प्रदान करना ।

4. प्रौद्योगीकीय विकास तथा उपभोक्ता प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए जूट क्षेत्र के लाभार्थ बाजार अभिमुख अनुसंधान तथा विकास कार्यक्रम के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न अनुसंधान एवं विकास संगठनों के साथ पारस्पनरिक संपर्क को बढ़ावा देना ।

5. आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के निर्णय के अनुसार राज्य के खरीद अभिकरण द्वारा बी-टवील सैंकिंग की खरीद और आपूर्ति का संचालन आपूर्ति और निपटान निदेशालय से पटसन आयुक्त,कोलकाता के कार्यालय में स्थानातंरित कर दिया गया है, जो 1 नवम्बर, 2016 से प्रभावी है । पटसन आयुक्त के कार्यालय ने जूट बैग के खरीद ,निरीक्षण और प्रेषण के लिए एंड-टू-एंड वेब आधरित प्लेटफार्म विकसित किया है जो नवम्बर, 2016 से पारदर्शी, नियम आधारित, और उपयोग में आसान और समयोचित है । पटसन आयुक्त कार्यालय ने नवम्बर, 2016 से जुलाई 2023 तक 60.35 हजार करोड़ (अनुमानित) मुल्य की लगभग 191.47 लाख पटसन के थैले के कुल मात्रा के लिए मांग पत्र जारी किया है । यह आदेशित मात्रा के अपेक्षा 191.47 लाख गांठे आपूर्ति की गई है। यह अधिनियम में शामिल विभिन्न अंत उपभोक्ता क्षेत्रों में जूट पैकेजिंग सामग्री ( पैकेजिंग पण्य वस्तुंओं में अनिवार्य प्रयोग ) अधिनियम,1987 के अंतर्गत प्रवर्तित अनिवार्य जूट पैकेजिंग आदेश को लागु करता है ।

6. उपयुक्त नीतिगत ढांचा तैयार करने के लिए जूट दृश्य विधान की अवलोकन संबंधी अल्प एवं दीर्धावधि कार्य तैयार करना ।

7. जूट क्षेत्र के विकास के सिलसिले में आवश्‍यक नीतिगत उपाय आरम्भ‍ करने के लिए समय-समय पर इस उद्योग पर ध्यान केन्द्रित करना एवं और आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कदम उठाना । विशेषरूप से उत्पादन, निर्यात प्रोत्साहन, वित्त आपूर्ति और कीमतों के स्थिरीकरण से जुड़ी विभिन्न समस्या‍ओं से निपटने के लिए सांख्यिकीय विश्लेषण किया जाता है, जूट मीलों की रूगण्ता के कारणों की गहराई से मूल्यांकन, ,बाजार में मूल्य में स्थिरता लाने के लिए मिलों की खरीद और कच्चे जूट के स्टॉक होल्डिंग का विनियमन, वित्तीय परिणामों और उत्पादन के लागत का अंतर मील विश्लेषण आदि ।

8. जूट और जूट कपड़ा नियंत्रण आदेश 2016 के शर्तो को पूरा करने के लिए और भारत में उत्पादित कच्चे जूट से निर्मित जूट पैकिंग सामग्री मे खाद्यान और चीनी की पैकिंग के लिए आरक्षित क्षेत्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पंजीकृत जूट आयतकों द्वारा नियमित मासिक रिर्टन के रिकार्ड प्राप्त करना और बनाए रखना ।

इस तरह, संक्षेप में हमारा पटसन कार्यालय का कार्य:

    • • जेपीएम((वस्तुओं के पैकिंग में अनिवार्य उपयोग ) अधिनियम,1987 और जूट एवं जूट कपड़ा नियंत्रण आदेश 2016 निगरानी व कार्यान्वयन
    • • जूट क्षेत्र से संबंधित सभी नीतिगत मामलों पर मंत्रालय को तकनीकी परामर्श .
    • • कच्चे जूटों के अन्य ग्रेडो के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की निगरानी (टीडी 5 किश्म के लिए सीएसीपी आधारित अधिसूचना )
    • • वस्त्र मंत्रालय द्वारा विधिवत अनुमोदित अद्यतन अंतरि‍म मुल्य पद्धति पर आधारित सरकारी बी-टवील किमतों का मासिक निर्धारण ।
    • • जूट क्षेत्र में सभी सरकारी/अर्ध सरकारी एवं स्वायत संगठनों के साथ समन्वय ।
    • • राज्य खरीद अभिकरणों (एसपीए) द्वारा 6,000 करोड़ रुपये की बी-ट्विल जूट बैगों के खरीद के लिए नवंबर 2016 से डीजीएस एंड डी कार्यों को कार्यान्वित करने के संबंध में।