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विविधीकरण


विविधीकरण
पटसन विविधीकरण कार्यक्रम

सिंथेटिक वस्तुओं के सस्ती कीमतों से मिल रही चुनौती को देखते हुए जूट उत्पादों के विविधीकरण पर अधिक जोर दिया गया है ।

विविधीकरण के मुख्यि लक्ष्या :- वस्त्रक क्षेत्र में जूट आधारित उत्पादों को सफल पैठ बनाने में सक्षम बनाना ।

मूल्यवर्धित विविध जूट उत्पाादों के क्षेत्र पर जोर :- जूट हथकरघा और हस्तशिल्प गैरबुनाई एवं औद्योगिक अनुप्रयोग, जूट मजबूत पैकिंग, सजावटी एवं जियो –जूट इत्याादि ।

मुख्य् रूप से भारत सरकार द्वारा वित्त‍पोषित विभिन्नद अनुसंधान संस्थानों के माध्य्म से गहन अनुसंधान और विकास प्रयासों के परिणामस्वरूप उत्पाद विविधीकरण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है ।

    • • कोको, कॅाफी, छिलके वाले मेवे इत्यादि जैसे स्तरीय उत्पादों के पैकिंग के लिए हाइड्रोकार्बन मुक्त जूट उत्पाद
    • • आधुनिक कताई प्रणाली में मुख्य आर एंड डी कार्य
    • • नैशनल टेस्ट हाउस द्वारा प्रमाणित पूरी तरह से जूट आधारित जैविक सैनिटेरी नै‍पकिन का विकास
    • • 60 से 70% वजन के मध्य जूट/विसकोस,जूट/एक्रिलिक,जूट/कपास जूट सामग्री का उपयोग करके मुख्य घटक के रूप में जूट के साथ जूट मिश्रित धागा का उत्पादन । ऐसे धागे कंबल,शॉल,स्वेटर और मोटे कपड़े परिधान बनाने में उपयोग में लाये जातें हैं ।
    • • परिधान के लिए जूट/कपास, जूट/रेशम, जूट/उन इत्यादि का उपयोग करके महीन मिश्रित धागे का उत्पादन में 30 से 40 प्रतिशत जूट सामग्री का उपयोग किया जाता है ।

जूट आधारित कपड़े विशेषरूप से फर्निशिंग, असबाब, कालीन और कंबल और अन्यो घरेलू वस्त्रों के क्षेत्र में उपयोग किये जाते हैं । अनुसंधान और विकास संस्थानों ने काठ और इमारती प्लाइवुड का विकल्प देने के लिए लचीली, कठोर, अर्धकठोर, और कठोर बोर्ड के रूप में जूट रीनफोर्सड कॉम्पजिट विकसित किया है ।

यूएनडीपी जूट कार्यक्रम के तहत नई तकनीक विकसित करके, नये उद्यमियों को उत्पादन इकाइयों स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करके रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने और स्व्देशी मशीन विनिर्माण क्षेत्र के विकास के माघ्यम से जूट क्षेत्र के विविधिकरण की सुविधा प्रदान की है । चालू कुछ परियोजनाओं में कागज उत्पादन के लिए उसमें जूट का प्रयोग, पटसन आधारित सूई छिद्रित कालीन, फर्श में बिछाने वाले कंबल, उन से बहुघटक सूत का विकास, फर्श को ढकने के लिए कंबल और बुने हुए कपड़े के लिए जूट और अन्य रेशों का प्रयोग ।

राष्ट्रीय जूट बोर्ड उद्यमियों, कलाकारों, डिजाइनरों, निर्माताओं एवं स्वेच्छा सेवी संगठनों को ढांचागत सुविधाएं प्रदान कर सहायता दे रहा है ।

सरकार के पास पटसन आयुक्त कार्यालय,कोलकाता एवं राष्ट्रीय जूट बोर्ड,कोलकाता दोनों के माध्यम से जूट जियो टेक्सटाइल को बढावा देने के लिए कई योजनाएं है । इसमें से अधिकतर परियोजनाओं की देखरेख राष्ट्रीय जूट बोर्ड द्वारा की जाती है । जूट जियो टेक्सटाइल्स अपने आप में जूट के उपयोग का गैर पारम्परिक तरीका है । इसके उपयोग के मुख्य क्षेत्र है सड़क सुरक्षा, ढलान स्थिरता, नदी -तट तटबंध,मिटटी बचाव, कृषि आवरण, पक्षी जल इत्या्दि ।

पूर्वोतर क्षेत्र में जियो टेकनिकल टेक्स टाइल्‍स के उपयोग को बढावा देने की योजना वस्त्र मंत्रालय द्वारा मार्च 2015 में पांच साल की अवधि के लिए शुरू की गई थी । जूट आयुक्त के कार्यालय के लिए, इसे भारतीय जूट अनुसंधान संस्था द्वारा पूर्वोतर में जूट जियो टेक्स्टाइल के उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में कार्यान्वित किया जा रहा है । इस योजना का मूल उद्येश्य पूर्वोतर क्षेत्र की नाजुक भूवैज्ञानिक अवस्थिति के बुनियादी ढांचे के विकास में एक आधुनिक लागत वाली प्रभावी प्रौद्योगिकी के रूप में जियो टेकनिकल (जूट जियो टेक्सटाइल सहित) के उपयोग को प्रदर्शित करना और पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के स्थाईत्व कार्य और जीवन में सुधार लाना है । इस योजना का कुल वित्तीतय परिव्य य परिव्य य रूपए 427/- करोड़ है । वर्तमान में इस परियोजना के तहत मणिपुर मे सड़क परियोजना एवं मेघालय में ढलान स्थिरीकरण का कार्य कार्यान्वित किया जा रहा है ।